सचिव के आदेश को बीएमओ दिखा रहा ठेंगा, क्या एनपीए लेने के बावजूद कर रहा प्राइवेट प्रेक्टिस?,जांच में होगा खुलासा-



राज्य शासन के नियमों को तक पर रख कर खंड चिकित्सक अधिकारी द्वारा निजी क्लीनिक का संचालन किया जा रहा है। जहां दूरदराज से आए आदिवासी ग्रामीण अंचल के मरीज का उपचार रकम लेकर किया जा रहा है।

गौरेला पेंड्रा मरवाही :- जनता को बेहतर स्वास्थ सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार भले ही हर संभव प्रयास कर रही हो लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौरेला के खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ. अभिमन्यू सिंह खुद ही निजी प्रैक्टिस कर रहे है।जबकि प्रशासनिक पदों पर बैठे चिकित्सकों के निजी प्रैक्टिस पर प्रतिबंध को स्पष्ट करते हुवे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव द्वारा 1 मई 2018 को स्पष्ट आदेश भी जारी किया है। इस आदेश को दरकिनार करते हुए खंड चिकित्सा अधिकारी द्वारा अपने पदेन दायित्व के विपरीत निजी प्रैक्टिस कर रहे है।

जिससे जिले में बैठे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के दायित्वों पर भी सवाल उठने लगे हैं।शासन के द्वारा सरकारी चिकित्सक निजी प्रैक्टिस कर मरीजों का शोषण ना करें इसलिए सरकार ने डॉक्टरों को एनपीए (नॉन प्रैक्टिस अलाउंस) भी दे रही है। जिसमें वेतन के अनुपात में 25 परसेंट अतिरिक्त दिया जा रहा है। ताकि वह प्राइवेट प्रैक्टिस ना करें। इसके बावजूद भी डॉ. अभिमन्यू सिंह के द्वारा निजी उपचार करते हुवे मरीजो से रकम लिया जा रहा है । इस मामले पर स्वास्थ्य कर्मचारी संध के प्रान्त अध्यक्ष आलोक मिश्रा के द्वारा उनके निजी प्रेक्टिस करने पर जिला कलेक्टर को पत्र लिखा जांच की मांग की गई है।



क्या एनपीए भी और प्रैक्टिस भी ?

डॉ अभिमन्यु सिंह द्वारा निजी प्रैक्टिस करते हुवे शासन से प्राप्त नॉन प्रैक्टिस अलाउंस भी लिया जा रहा है। बहर हाल अब ये तो जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि शासन से डॉ अभिमन्यु सिंह द्वारा एनपीए के लिए कितनी राशि उनके द्वारा ली गई है।और अगर इनके द्वारा एनपीए का राशि लिया जा रहा है तो इनकी प्रैक्टिस पर कब तक प्रतिबंध लगता है।




एक ही जिले में जमे हुए हैं वर्षों से पति पत्नी-

खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ अभिमन्यु सिंह सालों से गौरेला समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ हैं।इसी स्वास्थ्य केंद्र में इनकी धर्म पत्नी भी पदस्थ है। राज्य शासन ने पूर्व में ऐसे कर्मचारियों की सूची भी मंगाई थी जो एक ही जगहें में 3 साल से अधिक समय से जमे हुवे है। अब देखना होगा कि सरकार ऐसे जमे हुवे अधिकारी कर्मचारियों का स्थानांतरण करती है या फिर ऐसे आदेश केवल कागजों में सीमेंट कर रह जाता है।

पूर्व में हो चुका है प्रशासनिक स्थानांतरण-

डॉ अभिमन्यु सिंह का वर्ष 2019 में राज्य शासन ने जिला चिकित्सालय बलरामपुर प्रशासनिक स्थानांतरण कर दिया था । इनको बिना प्रशासनिक आदेश के गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले से कार्य मुक्ति ना करने और जिले में ही कार्य लिए जाने का आरोप लगाते हुवे कर्मचारी संगठन द्वारा भी जिला कलेक्टर से शिकायत की गई है।

हमारा सवाल –
वह कौन दंपति है जो मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय गौरेला पेंड्रा मरवाही में अपने रौब जमकर लंबे समय से जमे हुवे है।

निरंतर……

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