बिलासपुर, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आमागोहन की प्रभारी, श्रीमती मिथलेश भारद्वाज, के खिलाफ कर्मचारियों से दुर्व्यवहार की शिकायतों को लेकर एक ठोस कदम उठाया है। संघ के पदाधिकारियों ने खंड चिकित्सा अधिकारी कोटा को एक पत्र लिखकर प्रभारी को तत्काल हटाने की मांग की है। इसके साथ ही, उनके कार्यकाल की उच्च स्तरीय जांच की भी मांग की गई है।

कर्मचारियों का आरोप है कि श्रीमती भारद्वाज उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही हैं, जिससे न केवल काम का माहौल बिगड़ रहा है, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। संघ के सदस्यों का कहना है कि इस तरह का व्यवहार न केवल कर्मचारियों के लिए नुकसानदेह है, बल्कि इससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है।
संघ के पदाधिकारी, जो इस मामले को लेकर काफी गंभीर हैं, ने कहा कि स्वास्थ्य केंद्र में एक सकारात्मक और सहयोगी माहौल होना चाहिए, जिससे सभी कर्मचारी अपनी सेवाएं प्रभावी तरीके से प्रदान कर सकें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसी स्थिति में कार्यरत कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
कर्मचारियों द्वारा की गई शिकायतों में बताया गया है कि प्रभारी का व्यवहार अपमानजनक और दबाव बनाने वाला है। कर्मचारियों ने यह भी कहा कि जब उन्होंने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की, तो उन्हें और भी अधिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा। इस कारण कई कर्मचारी मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं और उनकी कार्य क्षमता प्रभावित हो रही है।
संघ ने यह भी कहा है कि अगर इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो वे आगे चलकर अन्य औपचारिक कदम उठाने के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने कर्मचारियों से एकजुटता बनाए रखने की अपील की है, ताकि उनकी आवाज को सही तरीके से उठाया जा सके।
इस मामले को लेकर स्थानीय स्वास्थ्य विभाग में हलचल मची हुई है। स्वास्थ्य अधिकारी मामले की गंभीरता को समझते हुए उचित कदम उठाने का आश्वासन दे रहे हैं। अब देखना यह होगा कि स्वास्थ्य विभाग इस मामले में कब तक कार्रवाई करता है और कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान कैसे किया जाता है।
संघ ने इस बात पर भी जोर दिया कि स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को एक सुरक्षित और समर्थनकारी वातावरण मिलना चाहिए। यदि ऐसी समस्याएं बनी रहती हैं, तो इससे न केवल कर्मचारियों का मनोबल गिरता है, बल्कि इससे आम जनता को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।