दलालों और निजी अस्पताल की मिलीभगत से बिना इलाज के आयुष्मान कार्ड का पैसा
निकाला,ग्रामीण हो रहे ठगी का शिकार

मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी
योजना का लाभ नहीं मिल रहा,

बालाजी अस्पताल से लकवा ग्रस्त मरीज का बिना इलाज किए आयुष्मान कार्ड से पैसा निकाल कर दिया गायब

परिजन हो रहे परेशान,

सरकार से अस्पताल प्रबंधन और दलालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग,

रायपुर – निजी अस्पताल के दलालों और अस्पताल प्रबंधन की मिलीभगत से बिना इलाज किए आयुष्मान कार्ड्स से पैसे निकाल कर मरीजों को भगाने और गायब करने का गंभीर मामला सामने आया है।
गांव के लोगों को फ्री(आयुष्मान कार्ड) मे इलाज करने के बहाने शहर के बड़े बड़े निजी अस्पतालों मे लाकर ऐजेंटो के द्वारा छोड़ दिया जाता है। ऐजेंटो और हास्पिटल प्रबंधन का ये बहुत बड़ा मिलीभगत और पैसे हड़पने षड्यंत्र का जाल है।

ऐसे ही जाल में बिलासपुर जिले के कोटा क्षेत्र के ग्राम लंहगाभांठा लुफा के एक आदिवासी रामभरोस मरकाम जो कि लकवाग्रस्त है,उनके साथ गत 23 मई बुधवार को एक घटना घटित हुई है। गांव के आसपास के ही दो एजेंट पूरन ठाकुर, संजय सोनवानी द्वारा गांव के 10 बीमार ग्रामीणों को इलाज़ के बहाने बाला जी हास्पिटल मोवा रायपुर लाया गया । इनमें एक आदिवासी मरीज़ रामभरोस मरकाम भी शामिल था जो लकवा पीड़ित है। जिसे गुमशुदा बताया जा रहा है। गुमशुदा व्यक्ति का एक भाई भी साथ में था लेकिन वहां इलाज हुआ कि नहीं इसकी जानकारी नहीं मिली। 25 मई 2023 को ऐजेंटो द्वारा उनके परिजनों को फोन के मध्यम से कहा जाता है की रामभरोस मरकाम हास्पिटल से कहीं चला गया है।

जबकि वह लकवाग्रस्त व्यक्ति है वह बमुश्किल 8- 10 कदम ही चल पाते हैं। रामभरोस के गुमशुदा होने की सूचना मिलते ही उनके परिजन रायपुर के बालाजी हास्पिटल पहुचते हैं और अपने लोगों के बारे मे जानकारी लेते हैं। जिसमे पता चलता है की रामभरोस नाम का कोई व्यक्ति इस हास्पिटल में ऐडमिशन ही नहीं हुआ है जबकि उनके पास रामभरोस के नाम का एडमिशन कार्ड है। यह कार्ड बालाजी अस्पताल द्वारा ही बनाया गया है। उनके परिजन अपने स्तर पर उनकी खोजबीन कर रहे है जबकि यहां उनका कोई भी नहीं है । परिजनों द्वारा मोवा थाने में रामभरोस मरकाम की गुमशुदगी का रिपोर्ट दर्ज करवाया गया है। थाने में जाने पर एक बात और पता चली कि उसी के गांव के जो 9 लोग और आये थे उनमें से 3 बुजुर्गों व्यक्ति थाने पास सुबह से बैठे थे पर शायद उन्हें भी इलाज के बाद या उनके आयुष्मान कार्ड को युज कर पैसा निकालने के बाद हास्पिटल से भागा दिया गया।

थाने के एक पुलिसकर्मी से बुर्जुगों ने निवेदन कर बताया गया कि उक्त व्यक्तियों ने हमें यहां लाया है और हमें छोडकर चला गया है। जब बुजुर्गों के द्वारा मोबाइल नम्बर दिया गया तो यह नंबर पूरन ठाकुर का ही निकला।। जो गांव के गरीब भोलेभाले ग्रामीण को इलाज के बहाने इस हास्पिटल मे लाए थे। अस्पताल में इलाज़ के नाम पर उन्हें एक दो दिन रखने के बाद उनको भागा दिया जाता है। और ये लोग न उस लाने वाले ऐजेंटो का इसकी सूचना देते हैं और न ही उनके परिवार वालों को इसकी सूचना देते हैं ‌ आज इसी के चलते पिछले 20 दिनों से लकवाग्रस्त आदिवासी बुजुर्ग व्यक्ति बालाजी हास्पिटल मोवा से गायब है। जिनका कोई आता पता नहीं है। परिजन अपने स्तर पर उनको ढूंढ रहे है।

परिजनों ने रायपुर के लोगों समाजसेवी संस्थाओं से निवेदन कर अपील की गई है कि वे लकवाग्रस्त बुजुर्ग रामभरोस को ढूंढने मे मदद करें। उन्होंने आयुष्मान कार्ड्स से पैसों का हेराफेरी करने वाले दलालों और इस षड्यंत्र में शामिल बालाजी अस्पताल प्रबंधन के रैकेट को तोड़ने और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की सरकार और जिला प्रशासन से की है। पीड़ित परिजनों ने इस आशय का आवेदन पुलिस अधीक्षक रायपुर को देकर शीघ्र कार्रवाई की मांग की है।

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