जिला परिवहन कार्यालय चल रहा भगवान भरोसे चल रही जमके मनमानी

[फारुख ] – जिला बनने के पश्चात से जिले भर के कार्यालयों में जिला प्रशासन की मुस्तैदी से जिले के विभागों में काफी कसावट व सक्रियता देखने को मिल रही है परंतु वही पर एक विभाग ऐसा भी है जो लगातार अपनी मनमर्जी एवं नियम कायदे कानून को ताक पर रखकर कार्य करने के लिए हमेशा अखबारों की सुर्खियों में बना रहता है बात हो रही है

यहां पर संचालित जिला परिवहन कार्यालय की सूत्रों की माने तो यहां पर आने वाले लोगों से जो कि अपना लाइसेंस बनवाने या फिर परिवहन के अन्य मामलों का कार्य करवाने आते हैं उनमें से तो बहुतेरे ने आज तक जिला परिवहन अधिकारी का चेहरा भी नहीं देखा उनसे मिलने की बात तो बहुत दूर की है आदिवासी अंचलों से दूरदराज से आए लोगों को यदि किसी प्रकार की कोई शिकायत या समस्या होती है तो जिला परिवहन अधिकारी के केबिन का दरवाजे पर हमेशा ताला लटका हुआ दिखाई देता है अधिकारी कब आते हैं कब जाते हैं इसकी कोई पता खबर नहीं यदि कहीं से जिला परिवहन अधिकारी का दूरभाष नंबर प्राप्त हो जाता है तो अधिकारी फोन तक रिसीव नहीं करते इस प्रकार यहां का जिला परिवहन कार्यालय संचालित हो रहा है यह बड़ी ही चिंताजनक बात है

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र का जिला बनने से लोगों मेंअत्यंत खुशी थी कि अब उन्हें परिवहन से संबंधित कार्यों के लिए बिलासपुर के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे परंतु जिला बनने के पश्चात जिला परिवहन अधिकारी के इस प्रकार की कार्यप्रणाली से आम जनमानस को निराशा हाथ आई है सूत्रों की माने तो बहुत ही जल्द जिला परिवहन अधिकारी एवं उनके अधीनस्थ कर्मचारियों की शिकायत स्थानीय विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक से किए जाने की बात सामने आ रही है ताजातरीन एक मामला सामने आया है जहां मरवाही विकासखंड के ग्राम अंडी के निवासी दुर्गेश साहू ने छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग से लिखित शिकायत की है कि सूचना के अधिकार 2005 के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत करने जिला परिवहन कार्यालय गया था वहां पर पदस्थ कर्मचारी ने उनका आवेदन लेने से इंकार कर दिया इससे क्षुब्ध होकर जब दुर्गेश साहू ने इसकी शिकायत जिला परिवहन अधिकारी से करना चाही तो अधिकारी के चेंबर में उन्हें ताला लटकता हुआ दिखाई दिया इन सभी मामलों की लिखित शिकायत दुर्गेश साहू ने राज्य सूचना आयोग से की है एवं उचित कार्रवाई के लिए कलेक्ट्रेट एनआईसी अध्यक्ष को प्रतिलिपि सौंपी है। अब देखना यह है कि इस मामले को संज्ञान में लेकर सक्षम अधिकारी के द्वारा क्या कार्यवाही की जाती है ।

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