विवाह का बंधन सात जन्मों का बंधन माना जाता है। वैवाहिक जीवन में बहुत सी परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं। कभी अच्छा वक्त आता है तो कभी बुरे वक्त का भी सामना करना पड़ता है। अक्सर देखा गया है कि अगर शादी के बाद किसी महिला के पति का निधन हो जाता है, तो ससुराल वाले अपनी बहू को बुरा-भला कहते हैं। इतना ही नहीं बल्कि कई मामले ऐसे भी देखने को मिलते हैं जिसमें सास-ससुर अपनी बहू को परेशान भी करते हैं। और बेटे की मौत का सारा दोष अपनी बहू पर ही डाल देते हैं।
जब किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती है तो वह हालात के आगे बेबस, लाचार और मजबूर हो जाती है और लोगों की तरह तरह की बातें सहन करती रहती है। इसी बीच छत्तीसगढ़ के बालोद से एक मामला सामने आया है, जहां पर बेटे की मौत के बाद बहू की बेरंग जिंदगी में खुशियों का रंग भर दिया है। जी हां, यहाँ एक परिवार ने परंपरा की बेड़ियों को तोड़कर शानदार मिसाल पेश की है।

बालोद जिला के कुलिया निवासी युवक अपने विवाह हेतु युवती ढूंढ रहे थे। इसी दौरान कुछ समय पहले उनके बड़े भाई के निधन हो गया। जिनकी एक छोटी सी बच्ची है। छोटी सी बच्ची के भविष्य को ध्यान में रखते हुए गागरा और कुलिया निवासी दोनों परिवार और सामाजिकजनों के सहमति और उपस्थिति में मोनेंद्र साहू ने अपनी विधवा भाभी से सामाजिक रीति-रिवाजों के अनुरूप जयमाला पहनाकर एक दूसरे को पति-पत्नी स्वीकार करते हुए एक दूसरे के सुख-दुख में सहभागी बनने का संकल्प लिया ।
विदित हो कि जिला साहू संघ धमतरी के आह्वान पर समाज के समस्त स्तर तहसील, परिक्षेत्र एवं ग्रामीण इकाइयों में लगातार कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है । जिसमें परंपराओं संस्कार में जो कुरीतियाँ, विकृतियां, आडंबर को दूर करने और विधवा माता के सम्मान अधिकार के लिए वक्ताओं द्वारा सामाजिकजनों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है । इसी तारतम्य में ग्राम गागरा तहसील धमतरी निवासी रामनिहोरा साहू की सुपुत्री पूर्णिमा साहू की विवाह ग्राम कुलिया निवासी भुनेश्वर साहू के सुपुत्र के साथ हुआ था जिनकी कुछ दिन पूर्व आकस्मिक निधन हो गया जिससे पूरे परिवार इस दुःखत घटना से आघात था की अब हमारी बेटी का क्या होगा जिसकी एक छोटी सी बच्ची भी हैं l भाई के जाने के बाद विधवा भाभी और छोटी बच्ची के भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपनी भाभी को 23जून 2023 को जीवनसाथी के रूप में अपनाकर समाज में आदर्श प्रस्तुत किया है
