दुनिया में रुपये का और बढ़ा दबदबा, अब यह बड़ा मुस्लिम देश भी डॉलर के बजाय भारतीय करंसी में शुरू करेगा व्यापार

 क्या दुनिया में अमेरिकी डॉलर के दिन लद गए हैं. यह सवाल इसलिए उठने लगा है क्योंकि अब भारत ने भी रुपये को वैश्विक करेंसी बनाने का अभियान शुरू कर दिया है. इस अभियान का समर्थन करते हुए एक बड़े मुस्लिम देश ने भी भारत के साथ समझौता किया है.

भारत ने इंटरनेशनल करेंसी के रूप में दबदबा जमाए डॉलर को रिप्लेस करने के लिए धीरे-धीरे जो शुरुआत की है, उसके नतीजे अब दिखने लगे हैं. मलेशिया ने भी अब भारत के साथ भारतीय रुपये (Indian Rupee) में व्यापार करने पर सहमति दे दी है. वह अब भारत के साथ लेन-देन अन्य करेंसी समेत भारतीय रुपये में भी कर सकेगा. वहीं भारत भी मलेशिया से मंगाए गए सामान की कीमत का भुगतान अपने रुपये में दे सकेगा. रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले साल जुलाई में भारतीय मुद्रा में दूसरे देशों से व्यापार करने की मंजूरी दी थी.

मलेशिया ने भारत में खोला वोस्त्रो अकाउंट

भारतीय विदेश मंत्रालय (External Affairs Ministry) ने इस ताजा पहल की जानकारी देते हुए कहा कि RBI की इस पहल का मकसद वैश्विक व्यापार में भारतीय रुपये (Indian Rupee) का स्तर ऊपर उठाना और दूसरे देशों के साथ कारोबार में बढ़ोतरी करना है. मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इस पहल को आगे बढ़ाते हुए क्वालालंपुर के इंडिया इंटरनेशनल बैंक ऑफ मलेशिया (IIBM) ने भारत में अपना वोस्त्रो अकाउंट शुरू कर दिया है. IIBM ने यह काम भारत में अपने सहयोगी बैंक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) के जरिए किया है. इस तरह के वोस्त्रो खातों का इस्तेमाल भारतीय रुपये में भुगतान करने के लिए किया जाता है.

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद तेज हुई पहल


बताते चलें कि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस को दबाव में लाने के लिए उस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं. उनमें रूस को डॉलर की आपूर्ति रोकने की पहल भी शामिल है. चूंकि भारत का सबसे ज्यादा रक्षा व्यापार रूस के साथ ही होता है, इसलिए पश्चिमी देशों की इस पहल से भारत संकट में आ गया है. भारत ने इस प्रतिबंध की काट निकालते हुए खुद की करेंसी को वैश्विक स्तर पर प्रमोट करने का बीड़ा शुरू कर दिया. जिससे दुनिया में भारतीय रुपये को अंतरराष्ट्रीय भुगतान की मान्य करंसी के रूप में स्थापित किया जा सके.


भारतीय रुपये को वैश्विक करंसी बनाने की कोशिश


सरकार के कहने पर RBI ने जुलाई 2022 में इस संबंध में गाइडलाइंस भी जारी की थी. इस गाइडलाइंस में विदेशी मुद्रा भंडार पर बोझ को घटाने, एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने, डॉलर पर निर्भरता घटाने और ग्लोबल ट्रेड सेटलमेंट बनाने की बात शामिल थी. अब इस गाइडलाइंस के आधार पर ही भारत सरकार दूसरे देशों के साथ कारोबार में रुपये से भुगतान को प्राथमिकता दे रही है. जिसका असर रुपये के वैश्विक करंसी के रूप में उभरने के रूप में दिख रहा है.

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